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पं शशि मिश्रा(ज्योतिषी)
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का बहुत ही महत्व है।ज्योतिष शास्त्र की माने तो जब शनि की कुदृष्टि मनुष्य पर पड़ती है तो उसके जीवन में काफी कुछ उथल पुथल हो जाता है ।शनि के बारे में यहां तक भी कहा जाता है कि यदि शनि की ढैया या साढ़ेसाती चले तो मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से एकदम टूट जाता है और वह हर जगह अपमानित होता है। अब सवाल है कि क्या शनि को सरसों का तेल चढ़ाने से वह खुश हो जाएगा या कुछ इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है? हमारे लोकाचार में बहुत ही भ्रांति फैलाई गई है पर ज्योतिषीय दृष्टि से या वैज्ञानिक आधार से माने तो शनि ग्रह पर हीलियम गैस होता है जो प्राणी के वात प्रकृति से जुड़ा है ।वात क्या है इसको भी समझना होगा। वात यानी हवा केवल शरीर पर ही नही बल्कि भौतिक सुखों से भी संबंध रखता है। जब मनुष्य की वात प्रकृति बिगड़ेगी तो मनुष्य अपने विचारों पर स्थिर नहीं रहेगा और ना ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक अपनी बात को पहुंचाने में सफल होगा ।यदि शनि को सरसों तेल चढ़ाने से ही शनि का दुष्प्रभाव कम हो जाता तो भारत में सबसे ज़्यादा शनि मंदिर है और रोज पता नही कितने सौ लीटर तेल चढ़ जाता है पर फिर भी भारत में गरीबी, अशिक्षा ,बेरोजगारी, बीमारी कम नही हुई । अब सवाल है कि इसका समाधान क्या है? दो शब्दों में कहा जाय तो वात यानी वायु को ठीक करना ही समाधान है । नीलम रत्न उपयोगी है पर वह निर्भर करता है कि शनि जातक की कुंडली में किस स्थान यानी किस भाव में है । जब शनि वायु तत्व से संबंधित तो इससे ठीक करने के लिए योग दर्शन में और आयुर्वेद में भी काफी कुछ उल्लेख है जिसे मनुष्य अपना कर जीवन में शनि से आने वाली समस्याओं से निजात पा सकता हैं। इसलिए शनि से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि शनि को समझने की जरूरत है।
(पं शशि मिश्रा(ज्योतिषी)सम्पर्क सूत्र 8777597491 किसी भी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क कर सकते हैं।)
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