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5 अगस्त को ही श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन क्यों ?

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पंडित शशि मिश्रा(ज्योतिषी)

अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर सम्पूर्ण देशवासियों में हर्षोल्लास के साथ ये जिज्ञासा भी है कि आखिर 5 अगस्त को ही भूमि पूजन की तिथि क्यों निश्चित की गयी। हालांकि इससे पहले लोग ये भी  अटकले लगा रहे थे कि भूमि पूजन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि यानी 3 अगस्त को हो सकता है, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। बहुत से लोगों ने 5 अगस्त की तारीख चुनने के पीछे सरकार की इसी दिन एक वर्ष पूर्व कश्मीर से धारा 370 हटाने को कारण बताया।मेरे कई मित्रों ने मुझे फोन करके ये जानना चाहा कि 5 अगस्त की तिथि चुनने के पीछे रहस्य क्या है? जो मैंने उनको बताया, यहाँ उसे ही आपसे साझा कर रहा हूँ। दरअसल 5 अगस्त 2020 की तिथि मंदिर निर्माण के प्रारंभ हेतु अत्यंत फलदाई है। इसको इस तरह से समझते हैं।अंक ज्योतिष के अनुसार 5 का अंक बुद्ध ग्रह से सम्बंधित है। यह उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। जहाँ तक वर्ष 2020 की बात है, तो इसका योग 4 बैठता है। 4 का अंक राहु से सम्बंधित है। वहीँ यदि 5 अगस्त 2020 के समस्त अंकों का योग करें, तो यह संख्या(भाग्यांक) 8 बनता है। अब इनका विश्लेषण करते हैं। राहु किसी भी कार्य को क्रियान्वित करने में अहम् भूमिका निभाता है,जबकि अंक 8 का स्वामी यानी शनि आम जन और मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ किसी भी काम को अंतिम रूप से पूरा करने में सहायक सिद्ध होता है।दूसरी तरफ बुद्ध सृजन का कारक माना जाता है। हरा रंग इसका प्रतीक है। वास्तु के अनुसार हरा रंग पूर्व दिशा का रंग होता है। अयोध्या पूर्व दिशा में ही है। चूंकि भूमि पूजन की तिथि का मूलांक 5 है जो सही तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, जो आगे चलकर उचित एवं सटीक बैठता है। वर्ष 2020 का मूलांक 4 राहु का प्रतिनिधित्व करता है और राहु और बुद्ध ग्रह के बीच परम मित्रता है। जब इनका संयोजन बनता है तो जातक के काम में विपक्ष/विरोधी किसी तरह की बाधा पैदा नहीं कर सकते, क्यूंकि बुद्ध-राहु का संयोग किसी की चलने ही नहीं देता।अब बात 8 अंक यानि शनि की करें तो जितने भी लोग मंदिर निर्माण के कार्य से जुड़ेंगे, विशेषकर मजदूर वर्ग पूरी तन्मयता के साथ अपने काम को निर्धारित अवधि में पूरा करेंगे, क्यूंकि शनि इनको सपोर्ट करेंगे। श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण की जैसी कल्पना की गयी है उसे बुद्ध, शनि एवं चन्द्रमा पूर्ण करेंगे क्यूंकि चन्द्रमा मन, माता और उत्तर दिशा का कारक है। उत्तर दिशा आकार और संभावनाओं का कारक है। ऐसे में बुद्ध जहाँ हर वर्ग का निर्माण में सहयोग दिलाएगा तो वहीँ चन्द्र संभावनाओं को यथार्थ के धरातल पर आकार दिलाएगा। यानि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र राम मंदिर 4 वर्ष के भीतर भव्य आकार लेगा।(ये लेखक के स्वयं के विचार हैं। पंडित शशि मिश्रा जाने माने ज्योतिषी, अंक शास्त्र के ज्ञाता एवं वास्तु विशेषज्ञ हैं।)

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