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जहाँ आज ताजमहल है वहां होती थी खरबूजे की बम्पर फसल

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-इंजी.एस डी ओझा

कहते हैं कि जहां आज ताजमहल खड़ा है ,वहां कभी खेती लहलहाती थी . इस जमीन पर गेहूं और मौसमी सब्जियां उगायी जाती थीं .खरबूजे की बम्पर फसल होती थी ,जो कि दिल्ली की मंडियों तक भेजे जाते थे.जब शाहजहां ने यहां ताजमहल बनाने की ठानी तो किसान बेचैन हो उठे . उन दिनों संसद नहीं होती थी . लैण्ड एक्यूजिसन एक्ट नहीं था कि किसानों की कम से कम 70% सहमति की बात की जाती . इसलिए शाहजहां के शाही फरमान को सबको मानना पड़ा .

ताजमहल को बनने में 22 साल लग गये . इसके निर्माण में भारत के अतिरिक्त तुर्की के भी मजदूर थे. कुल जमा 4 करोड़ खर्च हुए थे . 22.44 हेक्टेयर भूमि तक विस्तृत यह निर्माण मुगल वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है .शाहजहां ने अपनी तीसरी पत्नी अर्जुमंद बेगम की याद में यह महल बनवाया था.उस्ताद अहमद लाहौरी इसके प्रधान वास्तुकार थे . जब तब शाहजहां वास्तुकारों की सभा बुलाया करता था. एक किंवदन्ती के अनुसार उस्ताद अहमद लाहौरी इसकी बुनियाद बन जाने के बाद गायब हो गये थे . बहुत दिनों के बाद वे आए . बादशाह ने गायब होने का कारण पूछा तो लाहौरी ने बताया कि वे चाहते थे कि बुनियाद गर्मी ,जाड़ा व बरसात को झेलकर काफी मजबूत हो जाए तब ऊपर की संरचना जोड़ी जाए . यदि वे यहां मौजूद होते तो बादशाह इसे जल्दी पूरा करने की जिद करते . आज भी भवन की प्लिंथ बनाकर साल भर के लिए छोड़ दिया जाता है .

ताजमहल की बुनियाद साल की लकड़ियों पर टिकी हुई है . साल की लकड़ी के बारे में मशहूर है कि वह पानी में रहकर पत्थर की तरह मजबूत हो जाती है. साल की लकड़ी पानी में सालों रखो तब भी वह सड़ती नहीं है . साल की लकड़ी के बावत एक कहावत प्रचलित है -पानी में सौ साल अड़ा ,सौ साल पड़ा ,फिर भी नहीं सड़ा . इस साल की लकड़ी की बुनियाद को भिगोने के लिए यमुना में पानी हमेशा मौजूद रहता है . कितने ताज्जुब की बात है कि आज जब बुनियाद लोहे व सीमेंट पर टिकायी जाती है ,ताजमहल की बुनियाद पिछले साढ़े चार सौ साल से मात्र लकड़ी पर टिकी हुई है .

ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए गये. अजीब बात है कि आप किसी का हाथ इस बिना पर काट देते हैं कि वह ऐसी कृति कहीं और न बना सके . हाथ काटे गये . हाथ कट्टे लोगों ने भी बदला लिया . उन लोगों ने अर्जुमंद बेगम के मजार के ठीक ऊपर ऐसी खामी छोड़ दी कि आज भी वहां से पानी रिसता है .देश विदेश के इंजीनियर थक हार गये,पर रिसाव बंद नहीं हुआ . ताजमहल बनने के तुरंत बाद शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया गया . उसे औरंगजेब ने आगरा के किले में रखा. शायद शाहजहां को हाथ काटे गये लोगों की हाय लग गयी थी . वह वहीं से ताजमहल को निहारा करता. मरने के बाद उसे ताजमहल में अर्जुमंद के बराबर में दफन कर दिया गया .

ताजमहल की गिनती आज सात अजूबों में की जाती है . एक सर्वे में इस अनूठी कृति को सात अजूबों में प्रथम स्थान मिला है . सन् 1983 में ताजमहल को यूनेस्कों ने विश्व धरोहर में शामिल किया है . इस ताजमहल को ठगों के बादशाह नटवर लाल ने अपनी मिल्कियत बताकर बेच दिया था . ऑप्टिकल भ्रम पैदा कर सन् 2000 में इसे गायब भी किया जा चुका है. ऐसी मुगलकालीन वास्तु कलाकृति को बनाने को लेकर कुछ लोग मुगल बादशाह शाहजहां से नाराज थे , आज भी नाराज हैं और कल भी रहेंगे . औरंगजेब का कहना था कि यह रियाया के धन की बरबादी है . साहिर लुधियानवी का कहना है कि इसे बनाकर हम गरीबों का मजाक उड़ाया गया है .

एक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर ,
हम गरीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मजाक .
(फेसबुक वॉल से साभार)

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