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-पं शशि मिश्रा (ज्योतिषी)
रविवार(21 जून) को कंकणाकार सूर्य ग्रहण समाप्त तो हो गया है पर अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है।यह जरूर सत्य है कि इस सूर्य ग्रहण के बाद से ब्रह्माण्ड में कई असामयिक घटनायें होंगी पर कुछ छोटे छोटे उपायों से इस ग्रहण के बाद से मिलने वाले दुष्परिणाम से बचा जा सकता है।एक उपाय से सूर्य और चंद्रमा दोनों को संतुलित किया जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि चंद्रमा मनुष्य के इड़ा नाड़ी से सम्बंध रखता है। वहीं सूर्य पिंगला नाड़ी से । चंद्रमा माता और मनुष्य के स्वाधिष्ठान चक्र जल तत्व और लिक्विड मनी से जुड़ा है। चंद्रमा मनुष्य के प्रजनन क्षमता का भी कारक है ।
वहीँ सूर्य पिता से सम्बंध रखता है जो मनुष्य के मणिपुर चक्र और आज्ञा चक्र से जुड़ा होता है। सूर्य यश, सम्मान,पाचन तंत्र, और क्रिया शक्ति को बढ़ाता है।यदि मनुष्य कुछ और न करे और केवल अपने माता पिता की सेवा और सम्मान करे, तो कई दोषों से बच सकता है। सच तो यह है कि माता का स्थान पृथ्वी तत्व से भी ऊपर होता है, जो मूलाधार चक्र और सांसारिक भौतिक सुखों से जुड़ा होता है। अतः माँ बाप की सेवा मात्र से ही जातक इस ग्रहण के बाद अपने आशंकित मन को शांत कर सकता है और आने वाले किसो भी दोष या बाधा को दूर भगा सकता है।(आप अपनी ज्योतिषीय समस्यानो के समाधान हेतु पंडित जी से -8777597491 पर संपर्क कर सकते हैं।)
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