-ध्रुव गुप्त
आज बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लोकपर्व सतुआन का दिन है। इसे सतुआ संक्रांति या बिसुआ भी कहते हैँ ! सतुआन आम के पेड़ों पर लगे नए-नए फल और खेतों में चने एवं जौ की नई-नई फसल का उत्सव है। इस दिन लोग नई फसल के लिए ईश्वर का आभार प्रकट करने के बाद आम के नए टिकोरों की चटनी के साथ नए चने और जौ का सत्तू खाते है।सत्तू भोजपुरिया लोगों का सर्वप्रिय भोजन है। इसे देशी फ़ास्ट फ़ूड भी कह सकते हैं। सत्तू चने का हो सकता है, जौ का हो सकता है, मकई का भी और इन सबके मिश्रण का भी। सत्तू का मज़ा उसके कुछ संगी-साथियों के संग कई गुना बढ़ जाता है। भोजपुरी में एक कहावत है – सतुआ के चार यार, चोखा, चटनी, प्याज, अचार। चटनी अगर मौसम के नए टिकोरे की हो तो सत्तू के स्वाद में चार चांद लग जाते हैं।
मित्रों को लोकपर्व सतुआन की बहुत-बहुत बधाई !
(फेसबुक वॉल से साभार)
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