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डीयू के 93वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में वीसी का ‘मास्‍टर स्‍ट्रोक’

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-मुनमुन प्रसाद श्रीवास्‍तव

जिन लोगों ने इस बार डीयू के 93वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शिरकत की और कार्यक्रम के अंत तक डीयू स्‍टेडियम में अपनी सीटों से चिपके रहे, वे अब डीयू के वीसी और उनकी कार्यप्रणाली और भावी योजनाओं को लेकर सवाल खड़े करने से पहले दस बार जरुर सोचेंगे।
लगभग 45 मिनट के उनके अध्‍यक्षीय भाषण में यह अंदाजा साफ साफ लग गया कि प्रोफेसर त्‍यागी के पास डीयू को वर्ल्‍ड क्‍लास यूनिवर्सिटी बनाने, नए विभाग शुरु करने, आपसी विवादों को विश्‍वविद्यालय के भीतर ही सेटल करने और स्‍थाई नियुक्तियों का मार्ग प्रशस्‍त करने का उनका रोडमैप तैयार है।

आपको याद होगा कि कुछ सप्‍ताह पहले देश के एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश कुमार त्‍यागी के इस्‍तीफे़ की चर्चा की खबर प्रकाशित कर विश्‍वविद्यालय के गलियारे में सनसनी फैला दी थी। वैसे भी, नए वीसी की नियुक्ति और उनका अपनी टीम जल्‍द नहीं बनाने को लेकर डीयू में दबे-दबे स्‍वर में उन पर ‘कमजोर वीसी’ होने का ठप्‍पा भी कुछ लोग जड़ चुके थे।

हालांकि, वीसी के इस्‍तीफे की चर्चा जिस तेजी से उड़ी उसी तेजी के साथ वह छूमंतर भी हो गई। यह बात दीगर है कि ऐसी खबरों पर डीयू के वीसी की
ओर से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया उन दिनों सामने नहीं आई। विश्‍वविद्यालय के विशेषज्ञों को समझते देर नहीं लगी कि वीसी के इस्‍तीफे की चर्चा एक संगठन विशेष के लोगों ने छेड़ी और मीडिया में यह न्‍यूज प्‍लांट करवाई गई। इतना ही नहीं 93 वें दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर हो रही देरी पर भी डीयू के वीसी आलोचना के दायरे में थे।

शायद यही वजह थी कि डीयू वीसी किसी ऐसे महत्‍वपूर्ण अवसर की तलाश में थे, जब वे अपने विजन को विद्यार्थियों, शिक्षकों, प्राचार्यों और उन सभी के बीच साझा करते, जो किसी न किसी रुप में डीयू से जुड़े हैं। ऐसे में डीयू का 93वां दीक्षांत समारोह अपनी बात कहने का परफेक्‍ट प्‍लेटफॉर्म बनकर आया। इस कार्यक्रम में तकनीक और भव्‍यता की चमक तो दिखी ही हिंदू, मुस्लिम, सिक्‍ख, इसाई-सर्वधर्म संभाव्‍य का संदेश भी साफ था। इस कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्‍ट दिल्‍ली यूनिवर्सिटी स्‍टूडेंट्स यूनियन(डूसू) के प्रथम अध्‍यक्ष और अंतराष्‍ट्रीय व कम्‍पेरेटिव लॉ के महान विद्वान के रुप में प्रसिद्ध वेद पी नंदा को बुलाकर उन्‍होंने साफ कर दिया कि वे छात्र राजनीति को भी बखूबी जानते-समझते हैं और विश्‍वविद्यालय को लेकर उनका विजन बहुत स्‍पष्‍ट है। इसीलिए प्रोफेसर त्‍यागी ने मंच से डीयू को अंतर्राष्‍ट्रीय फलक पर सिरमौर बनाने के लिए विश्‍वविद्यालय के विकास और नई योजनाओं का 11 सूत्रीय खाका खींच ‘मास्‍टर स्‍ट्रोक’ जड़ आलोचकों को बगलें झांकने पर मजबूर कर दिया। दरअसल, दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ डीयू के लगभग अधिसंख्‍य कॉलेजों के प्राचार्य, विभागों के अध्‍यक्ष और डीन के साथ बड़ी संख्‍या में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्‍टाफ, मीडिया के लोग भी मौजूद थे। अपने बच्‍चों को डिग्री लेते देखने के लिए दर्शक दीर्घा में अभिभावक भी अच्‍छी-खासी संख्‍या में थे और सबसे खास बात यह थी कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण न केवल डीयू की आधिकारिक वेबसाइट बल्कि डीयू से संबद्ध कॉलेजों में लगाई गई वेब स्‍क्रीन पर भी लाइव दिखाया जा रहा था। इस मौके पर कही गई बात का संदेश दूर तक पहुंच सकता था। इसीलिए तो अपने अध्‍यक्षीय भाषण की शुरुआत में ही प्रोफेसर त्‍यागी ने जानकारी दी कि इस साल डीयू में एससी और एसटी वर्ग में शत प्रतिशत दाखिले हुए हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

लगभग 45 मिनट के अध्‍यक्षीय भाषण में उन्‍होंने एक के बाद एक घोषणाओं की झड़ी ही लगा दी। 11 सूत्री कार्यक्रम में उन तमाम पहलुओं को वीसी ने कवर किया, जो आज के जमाने के हिसाब से बेहद जरुरी है। चाहे वह भ्रष्‍टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात हो या फि‍र डीयू को डिजिटल तकनीक से लैस करने की बात हो। समारोह में आने के लिए ई आमंत्रण पत्र और उस पर बार कोडिंग इस दिशा में पहले ही चर्चा का विषय बन गया था। वीसी ने बताया कि उनका विजन है कि डीयू वर्ल्‍ड रैंकिंग में पहले पचास में शामिल हो। उन्‍होंने कहा कि यह तभी होगा जब डीयू से जुड़ा हर शख्‍स रिफॉर्मर बने। क्‍या अच्‍छा हो कि एक ऐसा सिस्‍टम बनाया जाए, जिसमें 150 शब्‍दों में जहां आप अपनी शिकायत लिखें, तो 50 शब्‍द में उसका समाधान भी सुझाएं। इस तरह आप एक शिकायतकर्ता से रिफॉर्मर बन जाएंगे। और डीयू का विकास तभी होगा, जब सभी रि‍फॉर्मर बनेंगे।

उन्‍होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि प्रिंसिपलों की स्‍थायी नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया पहले ही शुरु कर दी गई है। शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर स्‍थाई नियुक्ति को लेकर यूजीसी के चौथे अमेंडमेंट्स को ध्‍यान में रखते हुए प्रक्रिया जल्‍द ही शुरु की जाएगी। उन्‍होंने दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ जर्नलिज्‍म बनाने की घोषणा करके भी सबको चौंका दिया और इस पर लोगों से उनको सुझाव देने का आग्रह भी किया। कुछ अन्‍य विभाग बनाने की भी बात कही। भ्रष्‍टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कहते हुए प्रोफेसर त्‍यागी ने यह साफ कर दिया कि डीयू ने डिजिटल इंडिया की राह पर कदम बढ़ा दिया है। देश के किसी हिस्‍से से भी छात्र अपनी ऑनलाइन डिग्री के लिए कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकता हैं। फीस भी ऑनलाइन जमा की जा सकती है। इससे छात्रों को बहुत सहूलियत होगी। उल्‍लेखनीय है कि इस साल दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में स्‍नातक और परास्‍नातक दाखिले पूरी तरह ऑनलाइन किए गए और फीस भी ऑनलाइन ही जमा हुई। एक छात्रा के उदाहरण से इशारों ही इशारों में उन्‍होंने डीयू के कई कॉलेजों में इस साल नॉन कॉलेजिएट वूमेंस एजूकेशन बोर्ड के सेंटर्स बढ़ाए जाने के फायदों को रेखांकित किया।

देर शाम समारोह के बाद प्रिंसिपलों और विभागाध्‍यक्षों के साथ ज्‍वॉइंट फोटो सेशन में वीसी के चेहरे पर सुकून की मुस्‍कान साफ खिली थी, क्‍योंकि वे यह जानते थे कि उन्‍होंने बेहतरीन मंच से ऐसा मास्‍टर स्‍ट्रोक जड़ा है, जिसकी धमक आने वाले दिनों में डीयू में गूंजती रहेगी।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं। उनको दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग एवं ब्रांडिंग का लंबा अनुभव है।)

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