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छठी मईया की कृपा ने बदल दी एक डॉक्‍टर की जिंदगी

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छठी मईया सदा अपने भक्‍तों का कल्‍याण करती हैं। उनकी जिस पर कृपा हो जाए, उसकी झोली खुशियों से भर जाती है। एक डॉक्‍टर को कैसे मिली छठ मईया पर विश्‍वास करके अपनी छूटी नौकरी वापस, बता रहे हैं वरिष्‍ठ पत्रकार मुनमुन प्रसाद श्रीवास्‍तव-

छठ पूजा और छठी मईया को लेकर पूर्वांचल समाज में कई तरह की धारणाएं और कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है छठी मईया के पूजन में लोगों की आस्‍था से मिलने वाली खुशियां और अनादर करने पर दण्‍ड।

सच तो यह है कि ऐसी मान्‍यता है कि छठ पूजा में पवित्रता एवं शुद्धता का बहुत अधिक ध्‍यान रखना पड़ता है। हल्‍की सी भी चूक होने पर तुरंत दंड मिलता है। गांव देहात में आज भी आपको बड़े बुजुर्गों से कई ऐसी कथाएं सुनने को मिल जाएंगी, जिसमें वे कहते हैं कि छठ मईया का किसी भी रुप में अनादर करने से फलां शख्‍स को इस तरह के दण्‍ड का भागी होना पड़ा। वहीं ऐसे लोगों की कहानियां भी सुनने को मिलेंगी, जो अपना सब कुछ गवां बैठे, लेकिन छठी मईया में अपनी गहरी आस्‍था और विश्‍वास से वे दोबारा उसे पाने में सफल हुए। चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के रहे हों। पूरे मनोयोग से मईया से मांगा, तो उनको मनोवांछित फल मिलने में देर भी नहीं हुई। ऐसा है छठी मईया का प्रभाव।

राजधानी दिल्‍ली में मेरे एक डॉक्‍टर मित्र की नॉकरी अचानक छूट गई। हुआ यूं कि कुछ तकनीकी गड़ब‍ड़ियों के चलते उनका सरकारी अस्‍पताल के साथ अनुबंध आगे रिन्‍यू नहीं हो पाया। इसका नतीजा या हुआ कि उनको अस्‍पताल से जाना पड़ा। डॉक्‍टर साहब से इस घटनाक्रम को जानकर हम उनके मिलने उनके पास पहुंचे। वे बेहद दुखी नजर आए। जाहिर है जिसकी नौकरी छूट जाती है, उसकी हालत को शब्‍दों में बयां करना मुश्किल है। डॉक्‍टर साहब की समझ में नहीं आ रहा था कि अब आगे क्‍या करना है, कैसे करना है।

यदि फि‍र से इंटरव्‍यू हुआ तो यह जरुरी नहीं कि उनको ही चुना जाए। इस तरह की तमाम बातें दिमाग में आने लगी। फि‍र दीपावली से कुछ रोज पूर्व पता चला कि अस्‍पताल में इंटरव्‍यू की डेट आ गई है और उनको भी फि‍र से इंटरव्‍यू में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। वे बेहद निराश थे, यह सोच कर कि जब मेरा कॉन्‍ट्रेक्‍ट ही आगे नहीं बढ़ाया गया , तो फि‍र इंटरव्‍यू में उनका सेलेक्‍शन क्‍यों होगा भला? ऐसे ही नकारात्‍मक विचारों ने डॉक्‍टर साहब को परेशान कर दिया। मैं कैब में कहीं जा रहा था। अचानक छठी मईया का एक गीत ओला कैब में सुनने को मिला। न जाने मुझे क्‍या हुआ। मैंने अपने बड़े बुजुर्गों से सुना था कि यदि छठी मईया का नाम लेकर पूरे मन से उनका ध्‍यान करके कोई काम किया जाए, तो सफलता मिलते देर नहीं लगती। मैंने कहा हे छठी मईया मेरे डॉक्‍टर दोस्‍त को उनकी छूटी नौकरी वापस दिलवा दो।

मैंने अपने डॉक्‍टर दोस्‍त को फोन मिलाया और कहा कि वे छठी मईया का नाम लेकर बेहिचक इंटरव्‍यू देने के लिए जाएं, मां सब अच्‍छा करेंगी। मैंने उनको यह भी कहा कि जब आपका सेलेक्‍शन हो जाए, तो छठ पूजा आने ही वाली है, आप मां की कुछ सेवा कर देना। डॉक्‍टर साहब ने ऐसा करने का वचन दिया। मां का ध्‍यान करके वे इंटरव्‍यू के लिए अस्‍पताल पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्‍होंने जो देखा वे हतप्रभ रह गए। एकमात्र वही एक कैंडिडेट थे, जो इंटरव्‍यू के लिए पहुंचे थे। अस्‍पताल प्रशासन भी इस बात से हैरान था, कि नियुक्ति के लिए इंटरव्‍यू का सर्कुलर जारी होने और दस दिन का टाइम देने के बाद भी कोई अन्‍य उम्‍मीदवार सीनियर रेजिडेंट पद के लिए इंटरव्‍यू देने क्‍यों नहीं आया। बहरहाल, कुछ घंटों तक अन्‍य उम्‍मीदवारों के आने की प्रतीक्षा की गई। जब बहुत इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया, तो फि‍र मेरे डॉक्‍टर साहब का इंटरव्‍यू लिया गया। छठ पूजा के नहाय खाय से ठीक एक दिन पहले डॉक्‍टर साहब को अस्‍पताल में फि‍र से नियुक्ति मिल गई। डॉक्‍टर साहब का कहना है कि छठी मईया और सूर्य षष्‍ठी व्रत के बारे में बस सुना भर था, आज यह देख भी लिया कि वे अपने पर आस्‍था रखने वाले किसी की भी झोली खुशियों से भर देती हैं।
तो आइए, आप भी पूरी श्रद्धा और विश्‍वास के साथ लगाइए जयकारा छठी माई का।

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