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कैसे करें महालक्ष्‍मी का पूजन

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लक्ष्मीपूजनकर्ता स्नान आदि नित्यकर्म से निवृत होकर पवित्र आसन पर बैठकर आचमन, प्राणायाम करके स्वस्ति वाचन करें। अनंतर गणेशजी का स्मरण कर अपने दाहिने हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, द्रव्य और जल आदि लेकर दीपावली महोत्सव के निमित्त गणेश, अम्बिका, महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली, कुबेर आदि देवी-देवताओं के पूजनार्थ संकल्प करें। इसके बाद सर्वप्रथम गणेश और अंबिका का पूजन करें। इसके बाद षोडशमातृका पूजन और नवग्रह पूजन करके महालक्ष्मी आदि देवी-देवताओं का पूजन करें।

दीपक पूजन –
दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। हृदय में भरे हुए अज्ञान और संसार में फैले हुए अंधकार का शमन करने वाला दीपक देवताओं की ज्योर्तिमय शक्ति का प्रतिनिधि है। इसे भगवान का तेजस्वी रूप मान कर पूजा जाना चाहिए। भावना करें कि सबके अंत:करण में सद्ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न हो रहा है। बीच में एक बड़ा घृत दीपक और उसके चारों ओर ग्यारह, इक्कीस, अथवा इससे भी अधिक दीपक, अपनी पारिवारिक परंपरा के अनुसार तिल के तेल से प्रज्ज्वलित करके एक परात में रख कर आगे लिखे मंत्र से ध्यान करें ।

भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं अन्धकारविनाशक। इमां मया कृतां पूजां गृहणन्तेज: प्रवर्धय।।
गंध, अक्षत, पत्र और पुष्प चढ़ाने के पश्चात हाथ जोड़कर यह प्रार्थना करें।

शुक्लां ब्रह्यविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनी वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्टिकमालिकां विदधतीरं पद्मासने संस्थितां वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
ओम् सरस्वत्यै नम:, सर्वोपचारार्थे गन्धाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि, नमस्करोमि।

तिजोरी एवं रोकड़ के बक्से में सिंदूर से स्वस्तिक बनाकर पूजन करें ।

नवग्रह पूजन —
हाथ में चावल और फूल लेकर नवग्रह का ध्यान करें :-
ओम् ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु।।
नवग्रह देवताभ्यो नम: आहवयामी स्थापयामि नम:।

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